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Thursday 26 December 2013

रेफरेंडम का खेल

खाजतक चेनल में कल दो चीजें देखने को मिली ।

(१) एक ऍड में कुछ ऐसा बोला गया था "रियल लोकशाही सर जी"
अभी दिल्लेमें आप पार्टी जो नौटंकी कर रही है उन सबका जस्टिफिकेशन था ।
सरकारों को हर समय हर निर्णय जनता के साथ मिलजुल कर, जनता से पूछ कर करने चाहिए ।
(२) केजरीवाल को शेर बनाया गया, शेर के आते ही दिल्लीमें खलबली मच गई, अधिकारी वर्ग इधर उधर भागने लगे । एक जगह तो फाईलें जलाते हुए दिखाया गया ।

दानव समुदायने ८० के दशक से तिसरा युध्ध छेड दिया है । उस समय ही अमरिका पर अपना कबजा कर लिया था, अमरिका का रोम रोम उन दानवों का कर्जदार है । आज अमरिका पूरी तरह दानवों के कबजे में आ गया है । अमरिका में साम्यवादी प्रणाली लाने के लिए चीन को प्रेरित किया जा रहा है अमरिका का टेकओवर करने के लिए ।

भारत में संचार माध्यमों में निवेश के बहाने ९० के दशक में दानव समुह की मिडिया को भारत में भेज दिया है, युध्ध के एक सैनिक के तौर पर । भारत का कोइ भी आदमी अगर राष्ट्रवादी है तो मिडिया प्रहार करना शुरु कर देता है, ग्लोबलिस्ट गद्दारों को तारिफ के पूल बांधते हुए हिरो बना देता है ।
समाचार माध्यमों का काम होता है समाचार देना पर समजदार जनता देख रही है की मिडिया समाचार नही देता है अपने आकाओं के लिए खूद लड रहा है, खूद पोलिस बन गया है, खूद जज बन गया है ।

दानवों ने भारत में हजारों की तादाद में स्वयंसेवी संस्थाओं को खडा कर दिया है, अरबों रुपये उन पर लगाए हैं, वो रात दिन दानवों के एजेन्डे पर ही काम कर रही है । सामान्य जनता को पता भी नही होता वो क्या सेवा कर रहे हैं । सेवा नाम से ही भारत का भोला नागरिक अहोभावित हो जाता है, विश्वास कर लेता है ।

आदमी कितना भी पढ ले लेकिन वो जब मानव समुदाय बनता है तो भेंड बन जाता है, उसकी पढाई लिखाई हवा हो जाती है, उसे कोइ भी दानव बरगला सकता है । भेंडों को आपसमें टकरा देता है । दानव समुदाय ने भेंडोंकी आपस में टकराने के अवगुण देखकर ही जगत के देशों में लोकशाहियां थोपी थी, असली राज्यकार्ताओं से देशों को छीन लिए थे । मानव भेंडों को और जोर से टकराने के लिए उनमें भेद भरे जाते हैं, शत्रुता करवाई जाती है और वो भी जुठी समानता और एकता के बहाने ।

"डिवाईड एन्ड रुल" दानव समुक का सदियों पूराना

केजरीवाल का पोइन्ट (१) उस की समज हमे प्रविन आर्य ने दी है ।

रेफरेंडम कितना खतरनाक हो सकता है और वामपंथी कैसे देश को बर्बाद भी कर सकते है वो किसी युगोस्लावियन से पूछो कैसे 10 साल मैं रेफरेंडम करा करा के देश के 4 टुकड़े करवा दिया वामपंथियो ने। सन 2003 तक ये एक देश था पर वामपंथियो और CIA ने मिल कर रेफरेंडम करवा करवा कर इस देश के 4 टुकड़े कर दिए । 2003 मैं सर्बिआ बने फिर 2006 मैं मॉन्टेंगरो और 2008 मैं कोसोवो और आज युगोस्लाविया एक बड़े देश से एक छोटा सा देश रह गया।

वैसे वही खतरा आज हमारे देश पर मंडरा रहा है क्योंकि फोर्ड और CIA से पोषित वामपंथी विचारधारा वाले लोग सत्ता मैं आ रहे है और इन्होने भी रेफरेंडम का बाजा बजाना चालू कर दिया है और कश्मीर को अलग करने कि बात भी बोल दी है रेफरेंडम के तरीके से बाकि अब भी युवाओ को नहीं समझ आया तो देश के टुकड़े होने तय है ।
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और रसिया को तोडने के लिए इस से उलट किया गया था । गोर्वोचेव नाम के खुजली को जगत की मिडिया ने हिरो बना दिया, उसे रसिया का प्रमुख बना दिया । उसने रसियन की इकोनोमी की वाट लगा दी, अलगाव वादियों को बढावा दिया, रेफरंडम का नाटक किया, बहुमति जनता रसिया के विभाजन के खिलाफ थी पर जनता की बात नही सुनते हुए रसिया के १०-१२ टुकडे कर दिये थे ।

ये जुठे साम्यवादी और नक्षली जनमत का बहाना निकालते हैं, पर करते हैं वही जो उन को करने के लिए कहा गया है ।

पोइन्ट (२)
केजरिवाल को जनता की नजरों मे हिरो बनाने के लिए मिडिया दिन रात लगा हुआ है । उस की छोटी से जीत को एक रेकोर्ड, एक किर्तिमान और ऐतिहासिक बता रहा है । देश में उस के सिवा कोइ शरिफ इन्सान ही नही है वो बात साबित कर रहे हैं । दिल्ली की कुछ संस्थाओं में प्यादे फिट कर के नकली फिल्में बनाई । केजरीवाल के डर से सब अधिकारी वर्ग डरा हुआ है ऐसे ऐसे बयान लिये गए, एक जगह कागज जलाये गये और बताया गया की अधिकारी घोटाले की फाईल जलाने लगे हैं । घोटाले की फाईल बनाई नही जाती, अगर बनाई है तो चुनाव के दूसरे दिन ही गायब हो जाती है । "आजतक" के केमेरे वहां तक नहीं पहुंचता ।


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