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Saturday 4 January 2014

धनचक्कर

By - Siddharth Bharodiya

क्रिकेट देखते हो ? तब तो देखा होगा बॉलर बॉल को अपने पेन्ट के साथ खुजा खुजा कर जोर से फैंकता है । बिलकुल ऐसे ही अमरिका और युरोप में बसे धनवान यहुदी बेंकर माफियाओं ने भारत में ऐसे लोगों को खूजा खुजा कर फैंके हैं या यहीं पर पैदा किए हैं, खरीद कर या धमका कर, जो दिन रात भारत की मट्टी पलित कर रहे हैं । भारतिय सिस्टम को अपने नाखून से खूजा खूजा कर  लहू लुहान कर रहे है ।
 इस लेख को लिखते समय मैं नीचे रोड पर गया तो एक छोटी सी दवाई की बोटल ठीक मेरे पिछे आकर गीरी । सद्भाग्य से मुझे लगी नही और बोटल मल्टिनेशनल दवा कंपनी की थी, छोटी और मजबूत थी, फूटी भी नही ।
   बहार से आई खुजलियां (प्यादे), अलग साईज और रंग की बोतलें तो सरकार में विविध पद पर, सरकार के इर्द गीर्द, विविध संस्थाओं में पदासिन हो गयी है । खूजली करानेवाली दवा से भरी बोतलें हमारे आसपास मंडरा रही है, गीर भी रही हैं । अभी फुटी नही पर फोडना जरूरी हो गया है ।

हाई लेवल के बीन राजकिय प्यादे ।
हर बोतल में परिवर्तन नाम की खूजली की दवा भरी है । (१) धर्म परिवर्तन नाम की दवा । (२) रिवाज, संस्कृति, रहन सहन परिवर्तन की दवा (३) सत्ता परिवर्तन नाम की दवा (४) व्यवस्था और रिवाज परिवर्तन नाम की दवा (५) अर्थिक परिवर्तन की दवा (६) कानून परिवर्तन की दवा । और यह सभी दवा का उत्पादन युएन नाम की वैश्विक संस्था के संस्थानों में हो रहा है ।
लेकिन ये सभी बाबतों का परिवर्तन करने के लिए पहले इसे रोगिष्ट साबित करने की जरूरत पडती है वरना कोइ दवा क्यों पीए !
आप का ये सिस्टम कराब है, आप का वो सिस्टम सडा हुआ है ऐसे सिधे सिधे कहने से कोइ मानेगा नही । तो प्रेक्टिकली खराब दिखाना पडता है । और दानव समाज सफल भी हो रहा है, भारत का नागरिक मानने लगा है की हमारी सारी बाबतें खराब है, रोगिष्ट है ।
भारत का सिस्टम सडाने के लिए, खराब करने के लिए दानव समाज यहुदी धन माफिया भारत के ही घनचक्करों (बुध्धिहीन) को काम में लगाता रहा है । दानवों ने धन का ऐसा धनचक्कर (धन का चक्कर) चलाया हुआ है जो सतत घुमता ही रहता है । उन के प्यादों ने इस चक्कर को "काले धन" के नाम से बहुत लोकप्रिय बनाया है ।
  

धन का चक्कर दानवों के घरसे शुरु होता है और दानवों के घर ही पूरा होता है । उस बीच कहां जाता है क्यों जाता है वो सब इस फोटोमें बताया गया है, छोटे बच्चे की मां भी सब कुछ समज जायेगी । 
खूजलियों ने काले धन का जो हौआ खडा किया है और उसे निपटने के उपाय बताये हैं उसे समजना पडेगा । 
काले गोरे धन का सफर धनमाफिया के ही घर से शुरु होता है । क्या ये खूजलियां उसे रोक पायेगी ? उन खूजलियों का अपना फंड नही अटक जायेगा ? 
धन माफिया विश्व की सरकारों को टेबल के उपर से लोन देता है और टेबल के निचे से सरकारें गठित करने का धन देता है । उस धन से अपने प्यादों के लिए केम्पेन, लोबिन्ग, चुनावि गरबडियां और मिडिया प्रचार करवाता है । ये दानवों का निवेश होता है । उस निवेश के बदले दानव मूल रकम के साथ सूद तो वसुलता ही है साथ में लगे हाथ उगाही या ब्लेकमेल कर के और धन भी मांग लेता है । राज नेता को उस रकम लौटाने के लिए घोटालों द्वारा कमाना पडता है । अपने बोस के लिए प्लस अपने खूद के लिए बहुत बडा घोटाला कर देता है । उस रकम को दानव समुह के पास पहुंचाने के बहुत जरिये होते हैं, हवाले के द्वारा भारत में ही दानव समुह के अन्य प्यादों में बांटने के लिए ऑर्डर करता है या दानवों की खूद की अपनी रिजर्व बेन्क और स्विस बेन्क की सिस्टम का उपयोग करते हुए अपने पास ले लेता है । डोलर किस शिकार ने भेजा उस का हिसाब अपनी बेंक रखता है, बाकायदा उस शिकार का खाता खोला जाता है ।     

http://post.jagran.com/sakhi-rbi-has-records-of-annual-black-money-transfers-of-rs-23k-crore-cag-1306384775
In yet another startling revelation about the black money being parked abroad, every year over Rs 23,000 crore was transferred from RBI accounts to unknown accounts in tax havens abroad and that the Central Bank has no record of any such transactions.
 इस समाचार में साफ लिखा है, हर साल आरबीआई से २३००० करोड रुपिया विदेश में कोइ अनजान खातों चला जाता है । चोर का बेन्क चोरी का माल ना ले जाये तो कौन ले जायेगा ?  
क्या खूजलियों को पता है आरबीआई खूद यहुदी धन माफिया रोथ्चिल्ड का बेंक है ? और भारत की जनता को अर्थक्रान्ति के नाम पर उसी बॅन्कर माफिया के हवाले करना चाहते हो ? 
 http://www.bharatmitramanch.com/post/view/197
 दानव समुदाय ने अपने ही प्यादों पर दबाव बढाने के लिए, जीस से वो ज्यादा उगाही कर सके और पोलिटिकल सिस्टम को जनता की नजर से गीरा सके, कौन से खातों में रुपये जाते हैं वो बताने और उस का प्रचार करने के लिए जुलियन असांजे नाम की खूजली को खडा किया । जनता की सहानूभूति दिलवाने के लिए उस पर जुठा बलत्कार का केस किया और उसे भगौडा घोषित कर दिया । आधा सत्यवादी तो सिर्फ उस केस के कारण से हो गया और बाकी पूरा सत्यवादी बना अपनी विकीलिक्स में बताये गये खूलासों से ।

उस जुलियनने हमारे महानुभावों के बेन्कखाते और रकम को बताता एक लिस्ट रिलीज किया । पक्ष,विपक्ष और मिडियामें हंगामा होता ही रहता था कालेधन के नाम, लिस्ट मिला तो जोर पकडा, ओफिसियल लिस्ट भी सरकार के हाथ आ गया उन बेन्कों से । लेकिन सस्पेन्स ! क्या बताते ?
बताते की इस लिस्टमें सोनिया का नाम है और आंकडा बता रहा है की वो दुनिया की ४ थे नंबर की सबसे धनी महिला है । होगी, आंकडेमें होगी, पर क्या वो कभी सोनिया को मिलेगा ? जी नही । उस आंकडे से जो दलाली बनती है वोही सोनिया के पास होगा । आंकडा बडा तो दल्लाली भी बडी । भारत के अंदर जो कमाती है वो लटके में ।

भारत की जनता को उल्लु मान लिया है? जो दानव अन्ना जैसे शराफत के पूतले भारत में खडे करते हैं और भारत की जनता के माथे पर ठोकपाल ठोकवा देते हैं वही दानव अपनी बेंक के लिए ऐसी ट्रीटी कारता है, चोरी का माल रख्खो और चोर का नाम मत बताओ ? खैर, जै हो दानवराज की !
नाम किसीका भी उजागर नही किया जा सकता ? कारण ? दानवों के बीच का समजौता बता दिया । नाम बताते तो वो आदमी जनता के सामने आ जाता और दानवों का भांडा फोड देता । कहता "हां, जरूर मेरे नाम का खाता है पर वो धन मेरा नही, मुझे कभी नही मिलेगा । जबरजस्ती मुझसे लिया गया हैं" ।
आप को बता दें कि उध्योगपति को भी उसे बरबाद करने की धमकी दे कर लूटा जा रहा है, महज टेक्स बचाने के खातिर कोइ उध्योगपति अपना धन कॅशमें या विदेश में नही रखता । उसे नशा होता है अपने उध्योग का विस्तार करने का, अपना धन वहां लगायेगा । बॅन्क से लोन लेने से भला होता है टेक्स भर के अपना धन ही काम में लगाओ ।

कम्पेर करो, किस देश का काला धन कितना है । चीन तो साम्यवादी है, साम्यवादी धन माफियाओंने तो चीनमें माओ को पैदा किया था जैसे आज भारत में माओवादी आप पार्टी की खूजली गेंग को खडा किया जा रहा है । चीन को तो लूटना उन दानवों का हक्क हो सकता है । पर भारत, क्या भारत उनके बाप का है ? उन से लडने के बदले सबसे कम १२३बीलियन के आंकडे से जनता को डारा कर व्यवस्था परिवर्तन करने के लिए निकल पडे हैं ? व्यवस्था को सुधारने के बदले परिवर्तन ? चोरों को पकडने के बदले जनता को ही गुलाम बनाना है ? 

बाबा रामदेवने एक नयी खूजली को इन्ट्रोड्युस किया है । बेन्कर माफियाओने बडे प्लान से उसे खडा किया है । भारत की जनता को बेन्क का गुलाम बनाना चाहता है और उसमें नरेन्द्र मोदी को भी लपेटना चाहता है । मोदी वाली बात ही सबसे ज्यादा खतरनाक सिध्ध हो जाती है अगर मोदी भी उसमे शामिल हो जाते हैं तो ।
केजरीने तो जनता को फोकट के बीजली पानी का लोलीपोप खिलाया था ये खूजली तो लोलीपोप का खजाना लेजर आया है । और मोदी द्वारा वितरित करना चाहता है । और राम देव को अक्कल ही नही है, अपने कारखाने में कैसे कैसे खूजलियों को बनाते हैं और देश के माथे पर थोपते रहते हैं । उस के भक्त फालतू में अफसोस करते हैं की अन्नाने रामदेव को धोखा दिया, केजरीने रामदेव को धोखा दिया ।
अन्ना और केजरी तो रामदेव की ही प्रोडक्ट है, धोखा कैसा । धोखा तो रामदेव दे रहे हैं देश को ।

ये खूजली जनता के दिमाग में घुसा रहा है कि उस के मालिक बेन्कर माफियाओं की कंपनिया भारतमें आयेगी और भारत का कल्याण कर देगी । आज एफडीआईने अपना काम शुरु नही किया है तो सब उलट पुलट है । वो काम करने लगेगी तो सब सही हो जायेगा । उसने अर्थतंत्र की स्थिरता के लिए एफडीआई को सबसे उपर बैठा दिया है और भारत सरकार को सबसे नीचे रख्खा है । भारत का जो भी कल्याण करना है एफडीआई ही करेगी सरकार नही । तब तो मोदी का क्या काम है ? तूम खूजली लोग ही चलाओ देश को !  

इस साम्यवादी खूजली का पेट का दर्द इसमें है । जनता टेक्स नही देती है । क्यों नही देती, देती तो है और इतनी कमाई तो होनी चाहिए । और ये क्यों भूल जाता है कि इकोनोमी जनता चलाती है, सरकार तो उसमें दखल देती है कहीं उल्टा सिधा ना हो जाये ।
 उसने अभी से मान लिया है की आनेवाले समयमें जनता को एफडीआई याने मल्टिनेशनल कंपनिया के जरिये ही काम करना है, उसमें नौकरी कर के कमाना है । बिलकुल सही आकलन किया है । देश के पूराने सब धन्धे व्यवसाय इन कंपनियों के आगे टीक नही पायेन्गे, जनता मजबूर होनेवाली है अपना धंधा छोड कर नौकरी करने के लिए । किसानों से भी जमीन छीन ली जायेगी बाजार की नोक पर, रसिया की तरह बंदुक की नौक नही चलेगी इतनी राहत रहेगी ।

उस के सुजाव क्या है ? एक बाजू लोलीपोप और दूसरी और बांबू । लोलीपोप खाते जाओ और पिछे से बांबूकी मार खाये जाओ ।
(१) जनता को कोइ भी टेक्स नही चुकाने हैं । जिरो टेक्स ।
(२) आदमी केशमें व्यवहार नही कर सकता, जो भी व्यवहार करना है वो बेन्क के जरिये करना है । और बेन्क १०० रूपयेमे से दो रुपया टेक्स का काट लेगी याने २% । उसमें ३५ पैसे बेन्क के बाकी १.६५ सरकार के । 
(३) ५० के उपर की सभी नोट बंद कर देने की । जीस से आदमी बेन्क का टेक्स बचाने के लिए केश व्यवहार ना करे ।
(४) दया दिखाकर २००० रुपये केश ट्रान्जेक्शन की छुट दी है, जीस से आदमी सब्जी खरीद सके, रिक्षा भाडा या बस भाडा दे सके । जब २६ रुपया कमानेवाले गरीब नही है तो उनके लिए २००० की छुट बहुत है । लेकिन ये दो हजार महीने के लिए है या दिन के लिए वो स्पष्टता नही की है ।
अब उस के भाषण पर आते हैं । शुरुआत धर्म से की पर एजन्डा अधर्मि बेन्करमाफियाओं का चलाया है । उसने कहा करंसी कोइ कोमोडिटी नही आदमी अपने पास नही रख सकता । बेन्कमें रखना चाहिए । इस को पता नही हजारों साल तक दुनिया बिना करंसी से अपने व्यवहार चलाती थी । चीज के बदले चिजें या सेवा, सेवा के बदले चीजें या अन्य, सेवा बार्टर सिस्टम थी । करंसी से थोडी सहुलियत हो गई इतना ही । इसे दुःख है की हमारे देशमें पैसा कोमोडीटी बन गया है । बेन्क का पैसा करंसी में कन्वर्ट कर के लोग साथमें लेकर धुमते हैं इसलिये दूसरे को पैसा नही मिलता । इस का खेल देखो । आदमी का कमाया पैसा आदमी का नही बेन्क का है, आदमीने अपने पास रख लिए तो दूसरे को नही मिलता । क्या आदमी की कमाई पब्लिक बाथरूम है ? दुसरे आदमी को कमाने में कौन आडे आता है । कमाना महत्व का है या दूसरे की कमाई को उधार लेना ? भारत में पहले आदमी उधार देते थे उनको बदनाम कर के रोका गया ये तो सुदखोर है ! आज भी देते हैं, लेकिन छुपके, डर डर के । बेन्कों की मोनोपोली लानी थी ।
ये लोकशाही है या ठोकशाही ? जनता को अपनी कमाई को अपना कहने का अधिकार नही, अपनी कमाई अपने पास रखने का हक्क नही । साफ बात है, स्टेलिन के चेले आ गये हैं कलेक्टिवाईजेशन के लिए ।
असली बात पर आते हुए कहता है केश मनी ट्रेसेबल नही होता है, नोट कीस कीस के पास कैसे जाती है किसी को पता नही होता है, बेन्कमनी ट्रेसेबल होता है, सब का रेकोर्ड होता है । किस का पैसा किसके पास गया सब पता चलता है ।
यह माफिया आदमी की तरह पैसे को भी ट्रेसेबल बनाना चाहते हैं । आदमी को तो आधार कार्ड की चीप लगा कर सेटेलाईट से ट्रेसेबल बनानेवाले ही है और ये आदमी पैसे को भी ट्रेसेबल बनाना चाहता है । 
अमरिका को महिमा मंडित करता है । २००१ के ट्विन टावर को तोडने के बाद वहां कोइ आतंकी हमला नही हुआ है । क्यों की सब आतंकियों के बेन्क खाते सील कर दिये थे । दुनया की जनता जानती है की उस आतंकी घटना खूद अमरिकाने कराई थी और इस मासुम को मालुम ही नही । आगे कहता है की ब्रिटन केशलेस सोसाईटी की तरफ जा रहा है । ब्रीटन जा रहा है तो हमे क्या, उसे जाने दो ।
http://www.bharatmitramanch.com/post/323
दाउद की बात कर रहा है, सुरेश कमलाडी की बात कर रहा है । दाउद क्या कनपट्टी पर बंदुक रखके फिरोती मांग सकेगा क्या कि ला चेक दे दे ? क्यों नही, बेन्क ट्रन्जेक्शन करा लेगा । दाउद खूद ट्रेसेबल है तो भी उसे पकडते नही, रुपया ट्रेसेबल हो जाता है तो क्या फरक पडेगा । सुरेश कमलाडी की तो बात ही मत करो, आपके अमरिकी बोस को ही ट्रेस होना पडेगा ।
अब थोडे जमीनी सवाल
(१) जीन लोगों की कमाई कम है और इन्कम टेक्स के दायरे में नही आते हैं उनको भी बेन्क टेक्स भरना होगा । आदमी गरीब भी है तो भी टेक्स भरना होगा ।
(२) भारत में किसानो को इन्कम टेक्स नही भरना होता है उनको भी भरना होगा ।
(३) कुछ धन्धे होते हैं जीसमे कम नफा और व्यापार बडा होता है । आठ आने की कमाई पर धन्धा करना पडता है । उनका तो धंधा चौपट हो जायेगा । १०० के पिछे ५० पसे कमाने जाओ तो देढ रूपिया नूकसान जाता है । बेन्क २ रुपिया ले जायेगी । आदमी को कमाना है तो कमसे कम सवा दो रूपये का नफा तो चाहिए । फिर तो धन्धा कम हो जायेगा ।
(४) आदमी फिर से बार्टर सिस्टम की तरफ जायेगा । उसे दुनिया का कोइ दानवी कानून रोक नही सकता ।
(५) आदमी हवाले की तरफ भी जा सकता है । उस सेठ से मुझे इतने लेने हैं तूम उस से ले लेना । अरे यार मुझे भी उसे देना है तो हम सब का हिसाब पूरा । किसी को कुछ लेना देना नही । फालतू ट्रन्जेक्शन कर के कुत्तों की बेन्क को टेक्स क्यों दें ! बेन्क कुत्तों की हो जायेगी । जनता नफरत करेगी ।
सरकार और बेन्क से ज्यादा भरोसा कारोबारी एक दुसरे पर करता है । एक दुसरे के पेनेन्ट सेट करनेवाले खडे हो जायेन्गेगे । बेन्क को दो रूपये देने से अच्छा है इसे १० पैसे देना ।
(६) भारत से सीए या अन्य ऑडिटर अकाउन्टट की जरूरत नही रहेगी । अपने सामान्य व्यवहार के लिए हिसाब रख्खे जायेन्गे बाकी ओडिट करने की झंजट नही, सब हिसाब वाले बेकार । टेक्स की ओफिसें बंद । सीए का कोर्स ही बंद ।
(७) बेन्क कभी उठ जाता है, टोपी घुमा देता है, हाथ खडा कर देता है की हमारे पास पैसा नही है । और नागरिकों का पैसा डूब जाता है । क्या होगा उस समय ?
(८) सबसे महत्व की बात ये हैं । दानवों की कानी नजर भारत के घर घरमें रहे सोने पर टीकी है । दानव समाज जैसे उन के बापका माल हो ऐसे सर्वे कराता है, हिसाब लगाता कै कितने टन होगा । उस सोने को हडपना है । बीचमे डिमेट सिस्टम लाये थे की सोना बेन्कमे जमा कराओ, उसपर ब्याज मिलेगा । सबा अरब की आबादी है, एबरेज ५ लाख का माल निकले तो दानवों का तो बल्ले बल्ले !! कैसे भी तिकडम लगा के लूट लेन्गे ।    
मेहंगाई, गरीबी, भ्रष्टाचार मिटाने का ठेका लेते हैं, कैसे होगा ? भारत क्या अमरिका है कि तीसरी दुनिया के देशों के नागरिकों के खून पसीनों की कमाई पर पूरा देश अमीर बन के ऐश करेगा ? अर्थ शास्त्र का कटु सत्य नही जानते ? गरिबों के कंधों पर ही पूरे अर्थतंत्र का भार होता है । अमीर नौकरी नही करता, अमीर मजदूरी नही करता वो सब गरीबों को ही करना पडता है ।
मेहंगाई तो आपके ही बोस दानव समाज की देन है । मुकर जाना है आदमी को दिये वचन से । नोट धारक को रूपया अदा करने का वचन देता हुं ! कौन सा वचन ? कागज का या उस की वेल्यु का ? वेल्यु कम करते जाओ जीन्दगी भर महेनत से की गई आदमी की बचत को खा जाओ ।  
आदमी को हर दिशा से ट्रेस करना है, आधारकार्ड, बेन्क खाता, प्रोपर्टी, नौकरी धन्धा, ओबामाकेर । आदमी बिलकुल गुलाम । आदमी जरा भी सरकार का विरोध करे मामला खतम । लोकशाही को बेच के खा जाओगे तूम लोग तो ।पेरेलल अर्थतंत्र है तभी आज भारत टिक गया है । वरना रुपया देखी रूपिया खाउ के हिसाब से नागरिकों के रूपये छीन लिए जाते । फ्रोड से, टेक्स के बहाने और मेहन्गाई से । रूपये की ही वेल्यु जिरो कर के ।
धन के बल पर साम्यवादी धन माफिया दुनिया के मालिक बन बैठे हैं । और उन के प्यादे हमे इकोनोमी सिखाने आ गये हैं । तूम क्या करते हो मोदी अब ?  वो आजादी की बातें, वो सरदार का पूतला साम्यबादी भारत में खडा करोगे ?
और भारतवासी आप क्या करोगे ? खूजली गॅन्ग जिदाबाद या जुता ?
ArthaKranti proposal -It will Fully Change India
https://www.youtube.com/watch?v=GVfmUmB0bpM&list=UUusGjRmjnPEOAAIWtKEjw8g
Live Baba Ramdev on Narendra Modi
http://www.youtube.com/watch?v=YdYlIZb0CEk


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│  नरेन्द्र सिसोदिया
│  स्वदेशी प्रचारक, नई दिल्ली
│  http://narendrasisodiya.com
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1 comment:

  1. नमस्कार मित्रों,

    सबसे पहले तो मैं ये कहना चाहूँगा की सारे समस्याओं का हल सिर्फ स्वदेशी का अनुसरण करना ही है सायद अप मेरी बात से सहमत नहीं होंगे क्यूंकि इसपे थोडा फोकस चाहिए इसलिए सबसे पहले आप पूर्ण रूप से स्वदेशी बनीये एवं लोगो को स्वदेशी का अनुसरण करने के लिए प्रेरित कीजिये अगर वो कहे की स्वदेशी वस्तुओं की जानकारी कहाँ से ले तो http://swadeshaj.com के बारे में बताएं ताकि सारे स्वदेशी उद्योग बच सके न की किसी एक का जैसे की पतंजली या सहारा शॉप क्यूंकि जहाँ एक आदमी का हाँथ मजबूत करने में लगे वही से गन्दगी की सुरुआत होती है | हमे तो नहीं लगता की रामदेव या सहारा देश के हित में बहुत बार योगदान दे रखे है ये लोग अपनी अपनी रोटी सेक रहे है अपने शॉप में ये दुसरे स्वदेशी कंपनी के सामान क्यूँ नहीं बेचा करते क्यूंकि ये बस अपना रोटी सकने के लिए आगे आये है जैसे की आखिर में स्वर्गीय राजीव दिक्सित भी इशारा कर चुके थे यही वजह है की मैं "स्वदेशज" की सुरुआत की बाकि आपकी सोंच जो भी सोचें आप अपनी राय info@swadeshaj.com पे जरुर दें .........

    धन्यबाद,
    जय हिन्द
    .......

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